#रोजगार पैदा करने के तरीके।

जब देश आजाद हुआ था। उस समय देश की जनसंख्या लगभग 40 करोड़ थी। कुछ लोग चालीस कोटि आदमियों का देश बताते हैं। यहाँ थोड़ा भ्रम हो जाता है।कुछ लोग बताते है भारत मे 33 कोटि देवता भी थे। खैर आज़ादी के बाद भारत मे कितने देवता बचे थे ऐसा बता पाना मुश्किल है।क्योंकि अंग्रेज सन 1931 के बाद जनगणना नहीं करा पाए थे।और वैसे भी देवताओं को रोजगार की ज़रूरत नहीं पड़ती।

 लेकिन नेहरू जी को रोजगार की ज़रूरत थी। उन्होंने जब देश का संविधान बनवाया तो तीन लोगों को सारे अधिकार दे दिए। उनमें शिक्षक,वकील और बकैत शामिल थे। राजाओं /महाराजाओं/नबाबों और जमींदारों को पटेल साहब ने पहले ही उनके हैसियत के हिसाब से सदन दिलवा दिए थे। रह गए तो केवल सरकारी कर्मचारी जिन्हें पूरे अधिकार नहीं दिए गए।यद्यपि इसके लिए ये सरकारी कर्मचारी/अधिकारी समय समय पर रो पीट लेते रहे हैं। किंतु इन्हें सरकार ने जीने लायक वेतन और भरपेट झाँसे तो दिए पर सबसे बड़ा अधिकार यानि राजनीति करने का अधिकार कभी नहीं दिया।एक टॉप क्लास का गुंडा भी चुनाव लड़ सकता है पर पढा लिखा कर्मचारी ऐसा करते ही नौकरी से बाहर हो जाएगा। 

   खैर बाद में नेहरू जी ने देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए देश मे भारी भरकम उद्योग लगवाने शुरू किए।उन्होंने देश की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए तत्कालीन विकसित देशों से साझा सहयोग समझौते किये। इस प्रकार देश मे मध्यम वर्ग नाम की नई प्रजाति का जन्म हुआ। यह वही वर्ग है जिनके बच्चे आज गांधी और नेहरू को अपनी अच्छी स्थिति के लिए गालियां देते नहीं थकते हैं।

 और आज देश की स्थिति बदल चुकी है। इसलिये   आज रोजगार पैदा करने की थ्योरी बदल चुकी है। आज सरकारी उद्योग धंधों को बेचना बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि आज सरकार देश के सरकारी कर्मचारियों को पूरे अधिकार देना चाहती है।वह चाहती है कि सरकारी कर्मचारी स्वयम को सरकारी बंधन से  मुक्त महसूस करे। इसीलिए वह निरन्तर निगमीकरण और निजीकरण के लिये वचनबद्ध है। इसीलिए सरकार निरन्तर एक के बाद बड़े विनिवेश कर रही है। क्योंकि सरकार को पता है जब सरकारी रोजगार नहीं बचेंगे तो देश का एक बड़ा वर्ग जो सरकारी नौकरी की आशा में निठल्ला पड़ा हुआ है। उन सबमे कुछ नया कर गुजरने की चाहत पैदा होगी। उनमें नई ऊर्जा और रचनात्मकता का संचार होगा। तब देश का हर युवा दस नए लोगों को रोजगार देगा।और जब देश का चालीस करोड़ युवा दस दस लोगों को नौकरी देगा तब अपना भारत विदेशी लोगों को भी रोजगार ऑफर कर सकेगा। क्या तब अपने देश को कोई विश्वगुरु बनने से रोक सकता है। रोक सकता है क्या? रोक सकता है क्या?नई ना?

तो मित्रों! क्या हम 2050 तक इंतजार नहीं कर सकते।

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