वो जिनके तीर से बिस्मिल हुआ हूँ।

उन्ही नज़रों का मैं कायल हुआ हूँ

वो उनका देखना नजरें झुकाकर 

पशेमाँ मैं सरे-महफ़िल हुआ हूँ।।

 मेरा आना तुम्हारे मयकदे में

सभी कहते हैं अब काबिल हुआ हूँ।।

मैं खुद को खो चुका हूँ आशिक़ी में

तुम्हे लगता हैं मैं हासिल हुआ हूँ।।

Suresh sahani

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