मैँ भावों की महाउदधि में डूबा उतराया करता हूँ।


मुझसे ज्यादा उन्हें पता है क्या खाता हूँ क्या पीता हूँ

कब सोता हूँ कब जगता हूँ कब मरता हूँ कब जीता हूँ

मैं सागर हूँ या तड़ाग हूँ कोई घाट या केवल घट हूँ

उन्हें पता है मेरी स्थिति भरा भरा हूँ या रीता हूँ


पर जब भी मेरे दरवाजे कोई भूखा प्यासा आता

मैं अपनी क्षमता भर उसको राहत पहुंचाया करता हूँ।।


सुरेश साहनी कानपुर

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