पारब्रम्ह वह जगतपिता वह तीन लोक का स्वामी भी है।

कौशिक भी भजते जिसको वह कौशिक का अनुगामी भी है।।

क्या लीला है....

जनकपुरी का भ्रमण कर रहे प्रभु में एक सरलता भी है

जनकसुता की एक झलक पा लेने की आकुलता भी है।।

क्या लीला है....

जग को खेल खिलाने वाला ख़ुद किशोर बन खेल रहा है

सकल जगत जिससे चलता है जनक पूरी में डोल रहा है

क्या लीला है....


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