क्या कोई सच कह सकता है।
क्या अब भी ऐसा होता है ।।
जनता की मजबूरी होगी
लेकिन राजा क्यों नंगा है।।
क्यों रोते हो महंगाई पर
पैसे से जब सब मिलता है।।
रिश्ते नाते प्यार वफ़ा भी
दुनिया में सब कुछ बिकता है।।
दुनिया में जितने मज़हब है
उन सब का मज़हब पैसा है।।
ज़्यादा नहीं लिखूंगा वरना
लोग कहेंगे हटा हुआ है।।
Suresh sahani,kanpur
Comments
Post a Comment