कइसे राउर जियरा मानल।
भुलवा दिहलू जीयल मूवल।।
धन वैभव में बंदी भईलू
उ का जानी तुहके राखल।।
दूसर केहू तबले पूछी
जबले रही जवानी चटकल।।
मुवले ले हम राह निहारब
अब्बो आशा नईखे टूटल।।
दुइये काम मिलल बा हमके
इयाद कईल आ राहि निहारल।।
रउरे से जदि भेंट न होई
हमरो प्रान न निकली अटकल।।
केतना दिन ले लईका रहबू
अब ते छोड़S जान निकारल।।
सुरेश साहनी,कानपुर
#भोजपुरी
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