एक मुट्ठी धूप लेकर चांदनी से प्यार करना।

अब ज़माना चाहता है   रोशनी से प्यार करना।।

भीग कर हालात की बारिश में टँगना ही पड़ा

उनकी मजबूरी है बेशक़ अलगनी से प्यार करना।। 

सुरेशसहनी

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