तुम लेना श्वांस नहीं भूले

हम भी उच्छ्वास नहीं भूले

फिर कौन कमी थी चाहत में

क्यों प्यार हमारा भूल गए।।


पनघट से लेकर नदिया तक

मेड़ों से लेकर बगिया तक

अपने घर से विद्यालय तक

वो नीम तले दुपहरिया तक


हैं ऐसे कुछ अगणित किस्से 

जिनके हम दोनों थे हिस्से 

क्या कमी दिखी कुछ उल्फ़त में

क्यों प्यार हमारा भूल गए।।


तेरा आँगन मेरा दुआर

हैं स्मृतियाँ जाती बुहार

फिर हर झुरमुट पगडंडी से

जैसे करती है यह गुहार


क्या हुआ किसलिये छोड़ गये

क्यों अपनों से मुख मोड़ गये

ऐसा क्या था उस औसत में

क्यों प्यार हमारा भूल गये।।

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