चाँद तुम कुछ जल्द आकर क्या करोगे

या पिघलकर व्याहताओं की सुनोगे

क्या  समय की तालिका से ही चलोगे

या स्वयं अपने नियम ही तोड़ दोगे?


वे तुम्हारी दर्शकामी निर्जलाएं

खोजती चढ़कर तुम्हे अट्टालिकाएं

कोसती भी है तुम्हें अब तक न आये

क्या उन्हें भी तुम द्रवित हो दर्श दोगे?


ये तो अच्छा है कि यह पूनम नही है

राहु के पास इतना बल विक्रम नही है

किन्तु तेरे शत्रु भी कुछ कम नहीं हैं

घेर लें बादल अगर तुम क्या करोगे ?

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