#पाती

प्रेम भरी पाती लिखने की उमर ना रही।

कैसे समझाती लिखने की उमर ना रही।।

वो कहते हैं चिट्ठी में जानेमन लिखना

क्यूँकर बतलाती लिखने की उमर ना रही।।

वैसे भी तो तुम मेरे मन में रहते हो

किसको पठवाती लिखने की उमर ना रही।।

मन के भेद अगर कोई दूजा पा जाता

मैं शरमा जाती लिखने की उमर ना रही।।

एक नदी सी शेष कामना में जीती हूँ

तुझमे मिल जाती लिखने की उमर ना रही।।

सुरेश साहनी

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