हरदम ये मुलाकात के मौसम न रहेंगे।

तुम तुम न रहोगे कभी हम हम न रहेंगे।।

ये चाँद ये तारे तेरी दुनिया भी रहेगी

एक हम न रहेंगे जो तेरे ग़म न रहेंगे।।

ये हुस्न भी ढल जाएगा एक रोज मेरी जां

जो इश्क़ के मारे तेरे हमदम न रहेंगे।।

ये अब्र अगर प्यार की बारिश न करेगी

जल जाएंगे आंसू तेरे शबनम न रहेंगे।।

ये चांदनी भी चार दिनों तक ही रहेगी

ताउम्र ये जलवे यही आलम न रहेंगे।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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