फूल कांटों में तलाशे जायें।

दिल न पत्थर से तराशे जायें ।।

और किस तरह मनायें उनको

रूठ जायें तो बला से जायें।।

हक़ विरासत के मिले बेटों को

क़त्ल होने को नवासे जायें ।।

आप आये हैं मरासिम के तहत

दे चुके हैं जो दिलासे जायें।।

सब्र की ताब आख़िरत पर है

आप कह दें तो ज़हाँ से जाएं।।

मेरी हस्ती पे घटा बन बरसो

क्यों तेरी वज़्म से प्यासे जाये।।

सुरेशसाहनी , कानपुर

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