समन्दर में नदी इकदिन समानी। 

हमारे प्यार की इतनी कहानी।।

तुम्हारे ग़म हमारी ज़िंदगी है

ख़ुदा दे और लम्बी ज़िंदगानी।।

मेरी तन्हाईयों में राहतें हैं

तुम्हारे याद की चादर पुरानी।।

किसे दरवेश होने का पता था

कहाँ हम थे कहाँ तुम राजरानी।।

मुसाफ़िर हो के भी सब सोचते हैं

ये दुनिया है उन्हीं की राजधानी।।

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