डर जाते हैं सब कि लम्बी चौड़ी है।
अपनी राम कहानी बिलकुल थोड़ी है।।
धारा के अनुकूल सभी चल लेते हैं
हमने धारायें ही अक्सर मोड़ी है।।
हमने ऐसे राम अनेकों देखे हैं
राज नहीं त्यागा सीताये छोड़ी हैं।।
हमने ऐसे भी दीवाने देखें हैं
मैखाने में सारी कसमें तोड़ी हैं।।
अब दौलत वालों की पूजा होती है
दिल वालों की कीमत अब दो कौड़ी है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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