अहले महफ़िल हैं नाबीना।

किसको दिखलाये आईना।।


जनता गूंगी राजा बहरा

बेहतर है होठों को सीना।।


एसी और बिसलेरी वाले

कब समझें हैं खून पसीना।।


जुल्म सहन करना चुप रहना

अब इसको कहते हैं जीना।।


किसे पुकारे आज द्रौपदी

दुःशासन पूरी काबीना।।


आज अलीबाबा मुखिया है

चोरों का बोली मरजीना।।


राम खिवैया हैं तो डर क्या

बेशक़ है कमजोर सफीना।।


सुरेश साहनी कानपुर 

9451545132

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