हर कोई दीवाना समझे।

कोई तो अफ़साना समझे।।

अपनों ने तकलीफ़ें दी हैं

किसको दिल बेगाना समझे।।

सब के सब मशरूफ़ हैं शायद

दिल का कौन फ़साना समझे।।

इश्क़ अज़ल से चोट नई है

कोई  दर्द पुराना समझे।।

उनका ग़म है इनका मरहम

दिल किसको अनजाना समझे।।

कुछ तस्वीर पुराने ख़त कुछ

जिसको लोग खज़ाना समझे।।

उनका ग़म है,यादें भी हैं

किसको तुम वीराना समझे।।

सुरेश साहनी, कानपुर।

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