बात यह सच है कि मैं बेहतर नहीं हूँ।
पर तुम्हारी राह का पत्थर नहीं हूं।।
व्यर्थ मत समझो परख लो दोस्तों
मत गिराओ धूल में कंकर नही हूँ।।
इतिहास सदियों का समेटे घूमता हूँ
एक घटना का कोई अवसर नहीं हू।।
बांटता हूँ मिलन की खुशियाँ निरंतर
मैं विरह के धुप की चादर नहीं हूँ।।
जन्मसे विषपान ही मैंने किया है
भाग्य की है बात मैं शंकर नही हूँ। ।
सुरेश साहनी
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