एक ग़ज़ल कुछ हल्की फुल्की लिखनी है।
बातें उसमें तेरी मेरी लिखनी है।।
सुबह तुम्हारा खिलता चेहरा देख लिया
साथ तुम्हारे शाम सुहानी लिखनी है।।
लैला मजनू के किस्से भी लिखने हैं
नल दमयंती की वाणी भी लिखनी है।।
मेरे आंसू स्याही बन कर आने दो
साथ गुजारी सारी मस्ती लिखनी है।।
सांसों में सांसों की खुशबू घुलने दो
नज्में तुम पर महकी महकी लिखनी है।।
साथ तुम्हारे कितनी राते गुज़री हैं
और कहानी दिन ही दिन की लिखनी है।।
मेरी कोशिश है खालीपन भरने की
तुम को क्या क्या चीजें खाली लिखनी हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर।
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