क्यों सबको दिखलाते हो।
नाहक़ रोये जाते हो ।।
गेहूं-चावल महंगे हैं!
ब्रेड क्यों नही खाते हो।।
थोड़ी सी तकलीफ तो है
क्यों इतना चिल्लाते हो।।
देश हवा में उड़ता है
तुम्ही रेल से जाते हो ।।
पुरस्कार क्या पाओगे
उलटी कलम चलाते हो।।
Suresh Sahani
क्यों सबको दिखलाते हो।
नाहक़ रोये जाते हो ।।
गेहूं-चावल महंगे हैं!
ब्रेड क्यों नही खाते हो।।
थोड़ी सी तकलीफ तो है
क्यों इतना चिल्लाते हो।।
देश हवा में उड़ता है
तुम्ही रेल से जाते हो ।।
पुरस्कार क्या पाओगे
उलटी कलम चलाते हो।।
Suresh Sahani
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