हम किसी को दोष क्या दें।

क्यूँ न हम खुद को सम्हालें।।


उन पे अंगुली क्या उठायें

हम स्वयं में क्यों न झाकेँ


आईना  मैला  नहीं हैं

धूल  चेहरे पर है  झाड़ें।।


मंदिरो-मस्जिद से पहले

दिल में इक दीपक जलाएं।।


एक दिन दौलत से ज्यादा

काम आती हैं सदायें।।


क्यों न लें अपनी गरज है

दीन दुखियों से दुवाएं।।

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