तुमसे किसने कहा निभाओ।

चाहे जहाँ बेझिझक जाओ ।।

हम क्यों तुम पर बंदिश डालें

तुम क्यों हम पर अश्क़ बहाओ।।

प्यार स्वयं इक पागलपन है

प्यार में पागल मत बन जाओ।।

मैं भी अपनी ज़िम्मेदारी

तुम भी अपना धर्म निभाओ।।

कसमे वादे प्यार वफ़ा सब

बातें है इन पर मत जाओ।।

वालिदैन हैं रूप ख़ुदा के

ख़िदमत करो दुआयें पाओ।।

तुम सुरेश को समझ गए ना

जाओ दुनिया को बतलाओ।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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