दो हजार के नोट मोदी जी की दूरदर्शिता है।वरना हजार-पाँच सौ के साढ़े चौदह लाख करोड़ मूल्य के नोट छापने में हालत खराब हो जाती।चीन से एटीएम मशीन और कलपुर्जे मंगा लिए ,चीन भी खुश,।जर्मनी और जापान से कागज मंगाएं दोनों खुश ।डॉलर के दाम बढ़े ,अमेरिका भी खुश।अब विकास दर गिरने से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ेगा।फुटकर के अभाव से भिखारी भी कम होंगे। आटा-दाल के दाम बढ़ेंगे,परचून वाले खुश।ऑनलाइन दूध ,साग-सब्जी मिलने से गृहिणीयाँ खुश।अनाज के दाम बढ़ने से किसान खुश, बॉर्डर पर तनाव बढ़ने से आर्म्स-डीलर खुश।अमीरों का धन निकलने से गरीब खुश।सब खुश हैं हमारी बकरी मरी तो कोई दुःख नहीं पड़ोसी की दीवार तो गिरी। कुल मिलाकर देश में विकास ही विकास दिखाई दे रहा है।

     लोग मोदी जी के समर्थन में लाइनों में लगे हुए हैं।बैंकों में सर्वर नाम का कोई कर्मचारी अजगर की गति से कार्य कर रहा है।जनता जय जयकार कर रही हैं।बैंक कर्मचारी काला धन जमा करते करते जब श्याम वर्ण के होने लगते हैं,तब उनकी पत्नियां गलत आदमी से ब्याह करने के उलाहने देती हैं।वहीँ नए नोट वितरण में लगे चेहरों पर गुलाबी आभा आने से उनकी घरवालियां बहुत प्रसन्न हैं,आस पड़ोस में भी उनकी पूछ जो बढ़ गयी हैं।

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