हाँ उन्हें हर्फ़े वफ़ा याद नहीं।
मुझको भी उनकी जफ़ा याद नहीं।।
आदतन वो ये कहा करते हैं
ये उन्हें पहली दफा याद नहीं।।
इश्क़ सौदा था कोई उनके लिए
मुझको नुकसान नफा याद नहीं।।
दर्दे दिल कब से हैं कैसे बोलें
जब उन्हें इसकी शिफा याद नहीं।।
हाँ वो दुनिया से ख़फ़ा हैं लेकिन
कोई उनसे है ख़फ़ा याद नहीं।।
दिल के ज़ख्मों को सजा लें बेहतर
हमको तरकीबे-रफ़ा याद नहीं।।
झूठ क्यों बोलें छिपाएं क्यों कर
बात कहते हैं सफा याद नहीं।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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