घाव दिल पर मेरे लगा तो था 

हाँ मुझे दर्द कुछ हुआ तो था।।


हाल सबने मेरा सुना तो था।

कौन रोया कोई  हँसा तो था।।


जाल फेंका था फिर वही उसने

मेरे जैसा कोई फँसा तो था।।


मान लेते हैं तुम नहीं कातिल

क़त्ल मेरा मगर हुआ तो था।।


उसमें ढेरों बुराईयाँ भी थी

साहनी आदमी भला तो था।।


सुरेश साहनी कानपुर

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