क्या मुहब्बत धूप है 

जो रोशनी में साथ है

या मुहब्बत घटती बढ़ती

चांदनी का साथ है

या मुहब्बत तीरगी में

अनछुआ एहसास है

या मुहब्बत वो है जो

केवल तुम्हारे पास है

पास रहना ही तुम्हारा

खुशनुमा एहसास है

साथ होते हो तो लगता है

मुहब्बत पास है

पर मुहब्बत तब भी

रहती है हमारे जेहन में

डूबते हैं जब कभी 

ऐ दोस्त यादे-कुहन में

सिलसिले यादों के 

थमते ही नहीं हैं रात भर

ख़्वाब आंखों में 

उतरते ही नहीं हैं रात भर

लोग कहते हैं मुहब्बत

का यही अंदाज़ है

जिसको दुनिया जानती है

आशिक़ी वो राज़ है.....

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