पहले मुर्गी या अंडे की बातें करते लोग।

सैटरडे के दिन संडे की बातें करते लोग।।

जिसने मजदूरों का वेतन मार लिया बेखौफ

उस से मंदिर के चंदे की बातें करते लोग।।

पैसे वाले बहुत दुखी हैं सचमुच चिंता है

पर गरीब पर दे डंडे की बातें करते लोग।।

अब सीधे सादे रस्तों पर किसे भरोसा है

रोज नए छल हथकण्डे की बातें करते लोग।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है