शहर में आईने सस्ते हुए हैं। 

न जाने लोग क्यूँ सहमे हुए हैं।।


मुझे कुफे की बैय्यत देने वालों

मुझे बख्शो बहुत धोखेे हुए हैं।।


दिखाओ ख्वाब मत अच्छे दिनों के

जो अच्छे थे ज़माने जा चुके हैं।।


सुरेश साहनी

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