मैं कोई आज़ाद परिन्दा थोड़ी हूँ।

जिंदा दिखता हूँ पर जिंदा थोड़ी हूँ।।


तुम दौलत की दुनिया के रहवासी हो

मैं उस दुनिया का वाशिंदा थोड़ी हूँ।।


मुझसे मिलकर कर तुमको  ज़िल्लत लगती है

इन बातों से में शर्मिंदा थोड़ी हूँ।।


आज गया जो उठकर तेरी महफ़िल से 

आने वाला मैं आईन्दा थोड़ी हूँ।।

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