आखिर मुझसे इतनी बातें क्यों करती हो।

अपने दिल के कोने में कुछ तो रखती हो।।

ऐसा हूँ  मैं,    वैसा हूँ  मैं,    कैसा हूँ  मैं

तुम बतला दो जैसा भी सोचा करती हो।।

आखिर तुम को कौन उड़ा कर ले जायेगा

जाने क्यों दिन में सपने देखा करती हो।।

छोड़ के चल दोगी एकदिन औरों के जैसे

नाहक़ साथ निभाने वाले दम भरती हो।।

Suresh Sahani Kanpur

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