एक निर्भया और मर गयी

लेकिन बहुत बड़ा अंतर है

इसके या उसके होने में

क्योंकि यह है उसी वंश की

जिसके वाहक वेदव्यास थे

फिर ऐसे लोगों की इज़्ज़त

इज्ज़त नहीं हुआ करती है

इनको कहदो मौन रहें ये

पीड़ा को चुपचाप सहन कर

आसानी से जी सकती हैं

या फिर कायरता से प्रेरित

होकर जौहर कर सकती हैं

हो सकता है फिर प्रधान की

आंखों में आंसू आ जाये.....

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