इश्क़ के दर्द जो पाले होते।
हम भी खुशियों के हवाले होते।।
उनके पांवों में भी छाले होते।
जो तेरे चाहने वाले होते।।
मेरे अफसानों में तुम हो वरना
ख़ाक़ यादों में उजाले होते।।
सर हथेली पे लिए आते हम
तुमने नेजे तो निकाले होते।।
उनके परदे का ख़याल आता है
वरना अपने भी रिसाले होते।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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