अगर पढ़ लिए होते तुमने 

मेरे ख़त तुम मेरे होते।।


तुमने जब भी देखा मुझको

मुझमें कोई अज़नबी देखा

मेरा अंतर्मन कब देखा

मेरा बाह्यरूप ही देखा


अगर देख पाते अंतर्मन

विधि सम्मत तुम मेरे होते।।


बाहर से श्रीकृष्ण भी दिखे

माखनचोर छिछोरे छोरे

समय देख दे गयीं गोपियाँ

उन्हें हृदय के कागद कोरे


होते यदि उस छलिया जैसे

खुशकिस्मत  तुम मेरे होते।।

Suresh Sahani

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