चली जब बात तुम फिर याद आये।

दुखे जज़्बात तुम फिर याद आये।।


सुकूँ से दिन कटा मशरूफ़ रहकर

हुई जब रात तुम फिर याद आये।।


सुरेश साहनी कानपुर।

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