झूठे  और  लबार  नहीं हैं।

हम सहिये  हुशियार नहीं हैं।।


हमें हिकारत से ना देखो

जनता हैं,लाचार नहीं हैं।।


हुआ काम मुंह फेर रहे हो

हम कल के अखबार नहीं हैं।।


वक्त पड़े पर काम न आएं

इतने भी बेकार नहीं हैं।।


बहरे कान नहीं हैं अपने

हम दिल्ली दरबार नहीं हैं।।


सुरेश साहनी,कानपुर

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