मैं सोच रहा हूँ कि हमारा समाज सत्य में जाग गया है या जागने का दिखावा कर रहा है।लेकिन यह सत्य है कि प्रदेश सरकार जाग रही है।उसके मंत्री जाग रहे हैं।उसके समर्थक जाग रहे हैं।मीडिया सुविधानुसार जागता या सोता है।

अब प्रदेश में किसी के मरने पर अंतिम संस्कार की चिन्ता नहीं होती। अभी अख़लाक़ का अंतिम संस्कार किया गया।दनकौर में आबरू का विसर्जन हुआ।अब ताजा घटना मऊ जनपद में ग्राम बैजापुर दक्षिण टोला में घटी है।यहाँ एक गरीब निषाद युवती एक दबंग यादव ग्राम प्रधान की हवस का शिकार नहीं बनने पर जिन्दा फूंक दी गयी।आज मेरी उस गांव में 13 साल के साक्षी चंदन से  बात हुयी है।चन्दन के अनुसार उस महिला का बयान रिकार्ड किया गया था।मजिस्ट्रेट के बयान में तीन नाम थे।थाने में सपा समर्थक प्रधान और उसके साथी का नाम हटा दिया गया ।केवल उक्त महिला के एक पट्टीदार का नाम रिपोर्ट में रखा गया । प्रशासन संतुष्ट है कि उस गरीब के अंतिम संस्कार का खर्चा बच गया।वरना उसका पति कहाँ से उसका अंतिम संस्कार कर पाता।वह तो बेचारा खुद अपने भरण पोषण के लिए परदेश में मजदूरी करने गया है।प्रशासन चिंतित तब होता जब वह किसी सबल जाति की महिला होती।कश्यप निषाद तो कीड़े-मकोड़े हैं।इन पर तो अत्याचार शास्त्र सम्मत है।प्रधान तो चढ़ाई की उतराई दे रहा होगा।वह स्वाभिमानी महिला समझौते के लिए तैयार नहीं रही होगी।सो उसने अंतिम संस्कार कर दिया। वो नहीं करता तो पुलिस करती।शीलू की तरह चोर बताकर जेल भेज देती।नहीं तो फूलन की तरह डकैत बता देती।

और अपने समाज के नेता तो पार्टी लाइन पर चलते हैं।सपा वाले बोलेंगे नहीं वरना पद चला जायेगा।रामचरित्तर निषाद तब जागेंगे जब बीजेपी कहेगी।क्योंकि उसे हिन्दूओं का भला देखना है। बसपा में निषाद दलित नहीं होते।कांग्रेस केवल अल्पसंख्यकों के लिए चिंतित रहती है।कुल मिलाकर अगर यह महिला दलित या मुस्लिम होती तो दस बीस लाख मुआवजा मिल जाता।और अगर अपरकास्ट होती तो अब तक मीडिया उसे वीरांगना अथवा निर्भया बनाकर कैंडल क्रांति कर रहा होता।हम तो पैर धोते हैं इसीलिए चुप रहते हैं कि एक दिन भगवान आएंगे तो उतराई देंगे।या फिर हम इस समाज में मर्दों के पैदा होने का इंतज़ार करते रहेंगे।

शायद किसी दिन इस अठारह करोड़ समुदाय का तारणहार मिल जाए ।स

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