किसको बेबस भूखे नंगे याद रहे।
सबको झंडे रंग बिरंगे याद रहे।।
जनता ने झेला पर जनता भूल गयी
नेताओं को लेकिन दंगे याद रहे।।
कल तुम कैसे बीच हमारे आओगे
तुम बहरे हो हम हैं गूँगे याद रहे।।
हम कृषकों को कैसे भिखमंगा बोला
तुम हो वोटों के भिखमंगे याद रहे।।
खुद को एलीट क्लास समझ बैठे हो तुम
फिर क्यों देहाती बेढंगे याद रहे।।
कल तुमको हम ही औकात बताएंगे
किससे ले बैठे हो पंगे याद रहे।।
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