मन यायावर है यह सच है

तन नाहक भटका करता है

यत्र तत्र फैले रंगों में

जहां तहां अटका करता है

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है