द्रोण जन का पक्षधर क्यों कर हुआ है

जबकि राजा ही व्यवस्था कर रहा है

हो सुनिश्चित कोई गुरुकुल पक्षधर

जनशक्ति का होने न पाए।

एकलव्यों को धरा पर

ज्ञान का अधिकार है क्या

कल अगर सक्षम हुए ये लोग

तब हम क्या करेंगे

मूर्ख हो तुम द्रोण जिसकी मूर्खता से

राजपथ को आज जन का पथ बनाकर

निर्धनों की शांत लेकिन धुर अराजक

भीड़ का गर्जन सुनाई दे रहा है

और अंधे कान के परदे फ़टे से जा रहे हैं

हाँ हमें कुछ कुछ दिखाई दे रहा है

हस्तिनापुर का सिंहासन हिल रहा है

और कुरुकुल पांडु पुत्रों के सहित 

इतिहास बनने की दिशा में अग्रसर है

ज्ञान की मंथर हवायें 

आंधियां बनने न पायें

हो सके तो ज्ञान के इन संकुलों को बंद  कर दो

आज शिक्षा सिर्फ धनिकों  राजपुत्रों के लिए है

यह बता दो  

दक्षिणा में हो सके तो प्राण मांगो

खेत घर खलिहान सब बंधक बना लो

द्रोण या तो राजगुरु पद त्याग कर दो

अन्यथा इन गुरुकुलों को बंद कर दो


सुरेश साहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है