इस कहानी को सिलसिला मत दो
दिल को यादों का वास्ता मत दो।।
कुछ सलीके से भी रहा करिये
तोड़कर दिल ये मशविरा मत दो।।
दौड़ कर वो गले न लग जाये
प्यार को इतना फासला मत दो।।
लोग पत्थर के हो गए हैं अब
हो सके इन को आईना मत दो।।
भूल जाये तो भूल जाने दो
दिल की गलियों में रास्ता मत दो।।
इक दफा दिल को मर्तबा देकर
फिर ख़ुदा को भी मर्तबा मत दो।।
सुरेश साहनी
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