एक समय था। अंग्रेज़ों का पूरी दुनिया मे राज था।अंग्रेज नए नए सभ्य हुए थे। भारत पुराना सभ्य था।विश्वगुरु था भारत। क्योंकि उसे देश की सत्तर प्रतिशत आबादी को मूढ़ बनाये रखने की कला आती थी।जो देश इतनी बड़ी आबादी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित रखना जानता हो ,उसे मुट्ठी भर अंग्रेजो को हराना क्या मुश्किल लगता। उन्होंने स्वामी नरेंद्र  के पूर्व जन्म के जीव (जो मोहन दास करमचंद गांधी नाम धारी गुर्जर्राष्ट्र प्रान्त वासी थे ) को बापू कह के आगे बढ़ाया। गुजरात के बापू लोग वाक्पटु होते हैं।भगवान कृष्ण तो गुजरात मे रहके इतने तेज हो गए थे कि एक सिंधी (तत्कालीन गांधार प्रान्त जो सिन्ध से कंधार तक पड़ता था)के साथ मिलकर महाभारत तक करवा दी थी। गान्धी जी ने तक्षशिला को पटना और नालन्दा को पाकिस्तान में बतलाकर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को एक कर दिया।वे नित्य नए प्रयोग करते थे। एक दिन उन्होंने सत्य आग्रह और अहिंसा की ऐसी चाशनी बनाई कि अंग्रेज उसे अमेजिंग और मार्वलस  कह उठे। वे गांधी जी के फेके जाल में फंस चुके थे। उन्होंने सोचा यदि इस अहिंसा को अपना लें तो वह लोग भी विश्वगुरु बन सकते हैं। बस क्या था , गांधी जी का जादू चलने लगा। गांधी जी के हर कार्यक्रम में एक अच्छी तादाद में लोग जमा होने लगे थे। धीरे धीरे उनको घनश्याम दास बिड़ला,जे आर डी टाटा,जमनालाल बजाज, और गोयन्दका जैसे धनकुबेर भी सहयोग देने लगे। अब अंग्रेजों को गांधी जी की अहिंसा और उनके आंदोलनों पर विश्वास भी होने लग गया।

 चूंकि द्वितीय विश्वयुद्ध ने ब्रिटिश साम्राज्य की कमर तोड़ दी थी। अतःसमय और अपनी वित्तीय स्थिति का विवेचन करते अंग्रेज भारत छोड़ने को तैयार हो गए। और एक दिन भारत ही नहीं अपने अन्य उपनिवेश भी उन्हें उसी तरह आज़ाद करने पड़े जैसे आज भारत सरकार एक एक करके अपने सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपती जा रही है।

 सारांश यह कि अहिंसा के फेर में पड़कर बिचारे अंग्रेज बर्बाद हो गए। आज हर्ष का विषय है कि हमारे नेता अहिंसा से ऊपर उठ चुके हैं।

आज हम गर्व से कहते हैं:-


उन चपटे चेहरों के दम पर

कब तक हमको ललकरेगा।

अब का भारत वह भारत है

जो घर मे घुस कर मारेगा।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है