जो उपवन को लूट रहे हैं वे तो महिमामंडित हैं

कुछ राजा कुछः नगर श्रेष्ठ हैं मैं फकीर सा खाली हूँ

मेरे हाथों क्यारी क्यारी खिलना कोई दोष नहीं

मेरा दोष महज इतना है में उपवन का माली हूँ।

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