ज़िन्दगी फिर रूबरू होंगे सुबह
तब तलक जाकर कहीं आराम कर।।
कुछ नहीं तो हसरतों को नींद दे
हो सके कुछ ख़्वाब मेरे नाम कर।।
या मेरी नाकामियों को काम दे
या मेरी नाकामियां नाकाम कर।।
या तो आसां कर मेरी दुश्वारियाँ
या मेरी कोशिश को मत बदनाम कर।।
सुरेश साहनी ,कानपुर
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