एक तुम्हे पाने कि धुन में

कितनों को ठुकराया मैंने।

अब जाकर यह सोच रहा मन

क्या खोया क्या पाया मैंने।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है