ज़िक्रे-उल्फ़त से बहक जाते हैं।
हम मुहब्बत से बहक जाते हैं।।
हम मशक्कत से मनाते हैं उन्हें
वो नज़ाकत से बहक जाते हैं।।
उनकी मदहोश नज़र से मिलकर
हम तबीयत से बहक जाते हैं।।
कौम के लोग है भोले इतने
हर क़यादत से बहक जाते हैं।।
साहनी दिल के हैं सादिक़ इतने
पर नज़ाकत से बहक जाते हैं।।
सुरेश साहनी
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