अब वो आग नहीं लगती है।

महँगाई  बढ़ती  रहती है।।

कीमत कितनी ही बढ़ जाये

अब जनता सोयी रहती है।।

जाति धर्म नफरत की चर्चा

खबरों में पसरी रहती है ।।

झूठ और पाखण्ड आश्रय

टीआरपी बढ़ी रहती है।।

अस्पताल में दवा की जगह

ख़ाली मौत बंटा करती है।।

निष्ठा सेवा व्रत वालों को

अपयश और सज़ा मिलती है।।

सही लोग अब चुप रहते हैं

ये भी एक बड़ी गलती है।।

राम सम्हालो दुनिया अपनी

त्राहि त्राहि मचती रहती  है।।


सुरेशसाहनी

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