वो हमें जब भी मुस्कुरा के मिले ।
अनगिनत फूल खिलखिला के मिले।।
उनपे कैसे यकीन कर ले हम
जो हमें खूब आज़मा के मिले।।
हमको ये कत्तई पसंद नहीं
कोई हमसे नज़र चुरा के मिले।।
वो भी मिन्नत पसंद थे कितने
ख़ूब नखरे दिखा दिखा के मिले।।
हाथ हम थाम लेंगे दावा है
सिर्फ वो दो कदम बढ़ा के मिले।।
प्यार में हमने जान दे दी है
वो भी मक़तल में सर कटा के मिले।।
हम भी कितना झुके कोई हद है
उसको मिलना है ख़ुद से आ के मिले।।
सुरेश साहनी ,कानपुर।।
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