क्या सुख दुख में तुम यकसा रह पाओगे।
महफ़िल की तन्हाई में जब घुटते हो
वीरानों में तुम कितना रह पाओगे।।
मरने से पहले ही मरे मरे क्यों हो
क्या जिंदानों में ज़िंदा रह पाओगे।।
मैं क़तरा था फ़ानी था अब दरिया हूँ
तुम दरिया हो क्या क़तरा रह पाओगे।।साहनी
क्या सुख दुख में तुम यकसा रह पाओगे।
महफ़िल की तन्हाई में जब घुटते हो
वीरानों में तुम कितना रह पाओगे।।
मरने से पहले ही मरे मरे क्यों हो
क्या जिंदानों में ज़िंदा रह पाओगे।।
मैं क़तरा था फ़ानी था अब दरिया हूँ
तुम दरिया हो क्या क़तरा रह पाओगे।।साहनी
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