उन्हें तकलीफ़ है मेरी कहन से।

वे दरबारी हैं तन से और मन से।।

वे हुक्कामों को जीजा मानते हैं

उन्हें कब प्यार है अपनी बहन से।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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