ऐसी भी   लाचारी क्या!

कमज़रफों से यारी क्या।।

दिल को कैसे जीतेगा

जीती बाज़ी हारी क्या।।

जान नगद दी जाती है

इसमें कर्ज़ उधारी क्या।।

क्यों मुरझाया फिरता है

पाली है बीमारी क्या।।

नीयत साफ नहीं है तो

निजी और सरकारी क्या।।

हुयी घोषणा बहुत मगर

हुयी योजना जारी क्या।।

सेठों की सरकारें हैं

तुम भी हो व्यापारी क्या।।

शासन भाषण देता है

उसकी जिम्मेदारी क्या।।

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