जब वो अपनी जात बिरादर देखेगा।

कैसे सबको एक बराबर देखेगा।।


 सारी दुनिया ही भगवान भरोसे है

वो बेचारा कितनों के घर देखेगा।।


क्या जुड़ पायेगा वो जनता के दुख

से 

जब उठती आवाज़ों में डर देखेगा।।


तुम सब के हित देखेगा यह मत सोचो

वो सत्ता पाने के अवसर देखेगा।।


वह जो अपना घर तक देख नहीं पाया

क्या ज़िम्मेदारी से दफ़्तर देखेगा।।


सुरेश साहनी,कानपुर

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